राजस्थान के सीकर की कमला देवी ने समाज के सामने एक ऐसी अनोखी मिसाल पेश की है, जिसने हर किसी का दिल जीत लिया है। बेटे की शादी के सिर्फ छह महीने बाद उसकी मौत हो जाने से कमला देवी टूट गईं, लेकिन उन्होंने अपनी विधवा बहू, सुनीता, को टूटने नहीं दिया। बल्कि, उन्होंने एक मां का फर्ज निभाते हुए बहू को एक नया जीवन दिया।
सास की प्रेरणा से बनीं आत्मनिर्भर लेक्चरर
दुख की घड़ी में, कमला देवी ने सुनीता को सहारा दिया और उन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से बहू ने अपनी मास्टर डिग्री और बी.एड. की पढ़ाई पूरी की। कमला देवी की शिक्षा के प्रति इसी समर्पण का परिणाम है कि आज सुनीता एक सरकारी स्कूल में इतिहास की लेक्चरर हैं और पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।
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आत्मनिर्भर बनाने के बाद ढूंढ़ी प्यार की नई राह
आत्मनिर्भर बनाने के बाद भी कमला देवी यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने फैसला किया कि उनकी बहू को जीवन में खुश रहने का दूसरा मौका मिलना चाहिए। इसके लिए, उन्होंने सुनीता के लिए एक योग्य वर ढूंढा और उनकी दूसरी शादी भोपाल के सीएजी ऑडिटर, मुकेश, से करवाई।
कमला देवी की यह दयालुता, मार्गदर्शन और शिक्षा के प्रति समर्पण सुनीता के जीवन में खुशियों के नए रंग भर गया है। उनकी यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा परिवार वही होता है जो मुश्किलों में एक-दूसरे को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। कमला देवी जैसी सास हर भारतीय परिवार के लिए गर्व का प्रतीक हैं।
