नई दिल्ली: भारतीय एथलेटिक्स में जब रफ्तार और बाधाओं को पार करने की बात आती है, तो एक ही नाम गूंजता है—ज्योति याराजी। एशियन इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ज्योति ने अपनी जादुई रफ्तार से न केवल स्वर्ण पदक जीता, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि खामोश स्टेडियम में भी अगर आपकी मेहनत सच्ची है, तो उसकी गूंज पूरी दुनिया सुनती है।
8.12 सेकंड: नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड
महिलाओं की 60 मीटर बाधा दौड़ में ज्योति याराजी ने महज 8.12 सेकंड का समय निकालकर अपना ही पुराना नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया। दिलचस्प बात यह है कि पिछला रिकॉर्ड (8.13 सेकंड) भी उन्हीं के नाम था। पिछले साल उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी लय और एकाग्रता से सीधे सोने पर निशाना साधा।
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ज्योति याराजी का धमाकेदार प्रदर्शन:
- स्वर्ण पदक: एशियन इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप।
- नया रिकॉर्ड: 8.12 सेकंड में पूरी की 60 मीटर बाधा दौड़।
- कड़ी टक्कर: फाइनल में जापान और हांगकांग की दिग्गज धाविकाओं को पछाड़ा।
- मानसिक मजबूती: क्वालिफाइंग राउंड (8.22 सेकंड) से लेकर फाइनल तक बेहतरीन सुधार।
बाधाओं को बनाया अपनी ताकत
सिर्फ 24 साल की उम्र में ज्योति ने एशियाई एथलेटिक्स जगत में एक अलग पहचान बना ली है। 100 मीटर बाधा दौड़ में उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 2022 के एशियन गेम्स में संघर्ष के बाद मिला रजत पदक और फिर एशियन आउटडोर चैंपियनशिप का स्वर्ण उनकी जिद और कभी न हार मानने वाले जज्बे का सबूत है।
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पेरिस ओलंपिक की ओर बढ़ते कदम
ज्योति याराजी आज केवल एक एथलीट नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीय लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनका ध्यान अब आगामी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और ओलंपिक पर है। बाधाओं पर उनकी सटीक टाइमिंग और आत्मविश्वास यह दर्शाता है कि भारतीय खिलाड़ी अब वैश्विक स्तर पर किसी से कम नहीं हैं।
ज्योति की यह जीत उन सभी के लिए एक कड़ा संदेश है जो मानते हैं कि शांत रहकर की गई मेहनत शोर नहीं मचाती। जब वह ट्रैक पर दौड़ती हैं, तो उनके पैरों की रफ्तार भारत का नाम रोशन करती है।
