बेटी हो तो ऐसी! 19 साल की राखी ने पिता को बचाने के लिए दान किया अपना 65% लीवर, कलयुग में पेश की श्रवण कुमार जैसी मिसाल

बेटी हो तो ऐसी! 19 साल की राखी ने पिता को बचाने के लिए दान किया अपना 65% लीवर, कलयुग में पेश की श्रवण कुमार जैसी मिसाल

Rakhi Dutta Liver Donation Success Story India

कोलकाता: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसी कहानी वायरल हो रही है जिसे सुनकर हर किसी की आंखें नम हो जा रही हैं। कोलकाता की रहने वाली राखी दत्ता ने साबित कर दिया है कि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं होतीं। सिर्फ 19 साल की उम्र में राखी ने अपने पिता सुदीप दत्ता की जान बचाने के लिए वह कर दिखाया जिसकी हिम्मत बड़े-बड़े लोग नहीं जुटा पाते।

मौत के मुंह से पिता को खींच लाई बेटी

राखी के पिता सुदीप दत्ता लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। डॉक्टरों ने साफ कह दिया था कि अगर जल्द ही लीवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ, तो उनकी जान बचाना मुश्किल होगा। परिवार के लिए यह समय किसी अंधेरे से कम नहीं था। ऐसे में 19 वर्षीय राखी ने बिना डरे फैसला किया कि वह अपने पिता को अपना लीवर दान करेंगी।

15 घंटे की सर्जरी और 100 से ज्यादा मेडिकल टेस्ट

यह प्रक्रिया जितनी सुनने में सरल लगती है, असल में उतनी ही जटिल थी। हैदराबाद के एआईजी (AIG) अस्पताल में यह ऐतिहासिक सर्जरी हुई। सर्जरी से पहले राखी को 100 से अधिक मेडिकल टेस्ट से गुजरना पड़ा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह लीवर देने के लिए पूरी तरह फिट हैं। इसके बाद चली 15 घंटे की लंबी और कठिन सर्जरी के जरिए राखी के लीवर का 65% हिस्सा निकालकर उनके पिता को लगाया गया।

सर्जरी से जुड़ी मुख्य बातें:

  • दाता की उम्र: राखी दत्ता, मात्र 19 वर्ष।
  • अस्पताल: एआईजी अस्पताल, हैदराबाद।
  • अंगदान की मात्रा: लीवर का 65% हिस्सा।
  • सफलता: ट्रांसप्लांट सफल रहा और दोनों अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।

लीवर की खूबी: दोबारा हो जाता है विकसित

डॉक्टरों के अनुसार, लीवर शरीर का एकमात्र ऐसा अंग है जो खुद को दोबारा विकसित (Regenerate) कर सकता है। सर्जरी के कुछ महीनों के भीतर ही राखी और उनके पिता, दोनों का लीवर अपने सामान्य आकार और कार्यक्षमता में वापस आ गया। राखी के इस त्याग और साहस ने न केवल उनके पिता को नया जीवन दिया, बल्कि समाज में बेटियों के प्रति नजरिया बदलने का काम भी किया है।

आज राखी दत्ता की बहादुरी की चर्चा देशभर में हो रही है। उनकी यह कहानी उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो बेटियों को बोझ समझते हैं। राखी ने दिखा दिया कि प्यार और संकल्प के सामने कोई भी बीमारी बड़ी नहीं होती।

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