मार्केट अपडेट: भारतीय शेयर बाजार में साल 2025 आईपीओ (IPO) के लिहाज से एक बड़े बदलाव का गवाह बन रहा है। अब तक रिटेल निवेशकों के बीच यह धारणा थी कि छोटे आईपीओ में पैसा लगाकर जल्दी मुनाफा कमाना आसान होता है। लेकिन इस साल के आंकड़ों ने इस सोच को पूरी तरह पलट दिया है। बाजार में अब 'साइज' का बोलबाला है और बड़े आईपीओ छोटे इश्यू के मुकाबले लगभग तीन गुना अधिक रिटर्न दे रहे हैं।
बड़े आईपीओ पर बढ़ा निवेशकों का भरोसा
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार, ₹5,000 करोड़ से बड़े 'मेगा' आईपीओ ने लिस्टिंग के दिन औसतन 22% का मुनाफा दिया है। इसके विपरीत, ₹1,000 करोड़ से छोटे आईपीओ ने निवेशकों को केवल 7.5% का औसत लाभ दिया। यह साफ दिखाता है कि निवेशक अब उन कंपनियों की ओर रुख कर रहे हैं जिनके पास मजबूत ब्रांड वैल्यू और बड़ा स्केल है।
Read this Also: Cyient का अमेरिकी कंपनी पर बड़ा दांव! 9.3 करोड़ डॉलर की डील से शेयरों में आई जान, एक्सपर्ट्स ने बताया अब क्या होगा
धराशायी हुए छोटे आईपीओ
इस साल छोटे साइज के आईपीओ का प्रदर्शन काफी फीका रहा है। उदाहरण के तौर पर, जिंकुशाल इंडस्ट्रीज का ₹116.5 करोड़ का आईपीओ लिस्टिंग के दिन केवल 0.5% बढ़ सका। वहीं, ओम फ्रेट फॉरवर्डर्स के ₹122 करोड़ के आईपीओ ने निवेशकों को बड़ा झटका दिया और यह लिस्टिंग पर करीब 36% तक गिर गया।
2025 के चमकते सितारे:
- LG Electronics India & Meesho: बड़े ब्रांड होने के कारण लिस्टिंग पर शानदार रिस्पॉन्स मिला।
- Groww IPO: करीब 57% विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की हिस्सेदारी ने इसे मजबूती दी।
- HDB Financial: मेगा साइज और ग्रुप की साख ने निवेशकों को आकर्षित किया।
Read this Also: लिस्टिंग पर ही छप्परफाड़ रिटर्न! इस चिप कंपनी के शेयर में 755% का महा-उछाल, निवेशकों के पैसे हुए कई गुना
संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) का हाथ
बड़े आईपीओ की सफलता के पीछे एक बड़ी वजह एंकर और संस्थागत निवेशकों की भारी भागीदारी है। विदेशी निवेशकों (FII) और घरेलू निवेशकों (DII) के आने से स्टॉक में लिक्विडिटी बनी रहती है और ट्रेडिंग की क्वालिटी बेहतर होती है। इसके अलावा, बड़े इश्यू पर रेगुलेटर्स और बैंकर्स की कड़ी नजर होती है, जिससे वैल्यूएशन में मनमानी की गुंजाइश कम हो जाती है।
OFS का डर हुआ खत्म
पहले निवेशक ऑफर-फॉर-सेल (OFS), जिसमें प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं, को नकारात्मक मानते थे। लेकिन 2025 में यह ट्रेंड भी बदल गया। इस साल OFS वाले 10 में से 9 आईपीओ ने पॉजिटिव लिस्टिंग गेन दिया है। इसका मतलब है कि प्रमोटर्स का बाहर निकलना अब निवेशकों के लिए चिंता का विषय नहीं रहा, बशर्ते कंपनी की क्वालिटी अच्छी हो।
क्या यह बदलाव स्थायी है?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशक अब शॉर्ट-टर्म सट्टेबाजी के बजाय लंबी अवधि की स्थिरता की ओर बढ़ रहे हैं। बड़े आईपीओ में लिस्टिंग के बाद भी स्थिरता रहने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, एक्सपर्ट्स यह चेतावनी भी देते हैं कि केवल 'बड़ा' होना ही काफी नहीं है; किसी भी आईपीओ में पैसा लगाने से पहले कंपनी के बिजनेस मॉडल और रिसर्च पर ध्यान देना जरूरी है।
निष्कर्ष: 2025 का आईपीओ बाजार क्वालिटी और लिक्विडिटी की ओर झुक रहा है। छोटे निवेशकों के लिए अब 'मेगा' ब्रांड्स भरोसेमंद विकल्प बनकर उभरे हैं।
