रासायनिक खाद यूरिया और डीएपी के लिए लंबी लाइनों और संकट की खबरों के बीच, मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के एक किसान ने नई राह खोल दी है। खंडवा गांव के किसान लखन वर्मा द्वारा तैयार की गई जैविक केंचुआ खाद (वर्मी कंपोस्ट) अब नीदरलैंड के खेतों को उपजाऊ बनाएगी।
ऑनलाइन मिला 260 टन का मेगा ऑर्डर
लखन वर्मा दो दशकों से जैविक कृषि पर प्रयोग कर रहे हैं और 2015 से अपने खेत में वर्मीकंपोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं। इस खाद की मांग अब प्रदेश और देश के दूसरे हिस्सों में भी होने लगी है। स्थानीय बाजार में यह खाद 14-15 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध है।
लेकिन अब, नीदरलैंड की एक कंपनी ने उन्हें 260 टन केंचुआ खाद की आपूर्ति का एक बड़ा ऑर्डर दिया है। इस ऑर्डर के लिए उन्हें पांच अमेरिकी डॉलर, यानी करीब 442 रुपये प्रति किलोग्राम की आकर्षक दर मिलेगी, जो स्थानीय मूल्य से लगभग 30 गुना अधिक है! लखन वर्मा ने यह ऑर्डर अपनी खुद की वेबसाइट के माध्यम से नीदरलैंड की कंपनी से संपर्क स्थापित करके ऑनलाइन हासिल किया है। उन्हें यह 260 टन खाद मुंबई बंदरगाह तक भेजनी है।
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खुद के लिए शुरू किया था काम
किसान लखन वर्मा ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में वर्मीकंपोस्ट सिर्फ खुद के खेत के लिए तैयार करना शुरू किया था। जब उन्हें इसकी सफलता दिखी, तो उन्होंने इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया। उनके अनुसार, एक एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए सात क्विंटल वर्मीकंपोस्ट पर्याप्त होती है।
स्थानीय पशुपालकों को भी हो रहा फायदा
इस जैविक खाद उत्पादन से स्थानीय पशुपालकों को भी फायदा हो रहा है। लखन वर्मा ग्रामीणों और गोशालाओं से 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गोबर खरीदते हैं, जिससे पशुपालकों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिल गया है। वर्तमान में उनके खाद उत्पादन केंद्र पर 14 मजदूर काम कर रहे हैं। यह कहानी साबित करती है कि सही दिशा में किया गया जैविक कृषि का प्रयास भारतीय किसानों को वैश्विक बाजार तक पहुंचा सकता है।
