मध्यप्रदेश पुलिस का “मुस्कान अभियान” सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि संवेदनशील पुलिसिंग की एक ऐसी मिसाल बन गया है, जिसने राज्यभर में हजारों परिवारों के जीवन में दोबारा रोशनी भर दी।
एक महीने में मिलीं 1,903 बेटियाँ
पुलिस टीमों ने सिर्फ एक महीने के भीतर 1,903 लापता बच्चियों को सकुशल खोजकर उनके परिवारों से मिलाया। ये वे पल थे, जिनसे न केवल घरों में खुशियाँ लौटीं, बल्कि हजारों माता-पिता की सांसें भी वापस आईं।
इस मिशन को पूरा करने के लिए पुलिस टीमों ने कड़ी मेहनत की, जिसमें सैकड़ों किलोमीटर की यात्राएँ, अंतरराज्यीय समन्वय, तकनीकी विश्लेषण और सीसीटीवी फुटेज की लंबी स्कैनिंग शामिल थी। कई जिलों ने कठिन परिस्थितियों में भी अद्भुत काम किया, ताकि हर बच्ची सुरक्षित घर लौट सके।
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16 लाख से ज्यादा बच्चों को किया जागरूक
मुस्कान अभियान यहीं नहीं रुका। पुलिस ने 13,108 स्कूलों में विशेष कार्यक्रम चलाकर 16 लाख से ज़्यादा बच्चों को जरूरी जानकारी दी।
यह सिर्फ़ जागरूकता नहीं थी, बल्कि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित, समझदार और आत्मविश्वासी बनाने का एक बड़ा प्रयास था। बच्चों को जिन जरूरी बातों की जानकारी दी गई, उनमें शामिल हैं:
- महिला सुरक्षा
- साइबर सुरक्षा
- बाल अधिकार
- गुड टच–बैड टच
DGP कैलाश मकवाना की अगुवाई में मिशन
इस पूरे अभियान का नेतृत्व DGP कैलाश मकवाना ने गहरी संवेदनशीलता, स्पष्ट दिशा और टीमों को लगातार प्रेरित करने वाले दृष्टिकोण के साथ किया। उनकी अगुवाई में यह अभियान सिर्फ़ एक पुलिस ऑपरेशन नहीं, बल्कि मानवता, सुरक्षा और भरोसे का राज्यव्यापी आंदोलन बन गया। इस अभियान ने साबित किया कि जब पुलिस का दिल मानवीय संवेदनशीलता से भरा हो, तो सुरक्षा सिर्फ़ एक ड्यूटी नहीं, एक मिशन बन जाती है।
