इंजीनियर से बनीं IPS! 26 साल की उम्र में शुरू की UPSC तैयारी, तीन बार फेल होने के बाद चौथी बार में ऐसे किया पास!

इंजीनियर से बनीं IPS! 26 साल की उम्र में शुरू की UPSC तैयारी, तीन बार फेल होने के बाद चौथी बार में ऐसे किया पास!

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यूपीएससी सिविल सेवा का रास्ता किसी तय टाइमलाइन का मोहताज नहीं होता। यह तब शुरू हो सकता है जब आपमें आगे बढ़ने की हिम्मत हो। केरल के इडुक्की के मुरिक्कासेरी की रहने वाली अश्वथी जीजी इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। उनकी सफलता साबित करती है कि पक्का इरादा और सही रणनीति से सफलता हासिल की जा सकती है, भले ही आप ज्यादातर लोगों से देर से शुरुआत करें।

इन्फोसिस की जॉब छोड़ शुरू की तैयारी

अश्वथी जीजी ने मुन्नार के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। इसके बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इन्फोसिस (Infosys) में की। तीन साल तक कॉर्पोरेट जॉब करने के बाद, उन्हें अहसास हुआ कि उनका असली मकसद देश सेवा करना है। इसके बाद अश्वथी ने साल 2016 में, 26 साल की उम्र में, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कॉर्पोरेट जॉब छोड़ दी।

26 साल की उम्र में तैयारी शुरू करना, जब ज्यादातर लोग 19-20 साल में ही तैयारी शुरू कर देते हैं, एक बड़ा फैसला था। शुरुआती तैयारी उन्होंने खुद से की, जिसके लिए एनसीईआरटी किताबों और टेस्ट सीरीज पर भरोसा किया। बाद में, एक्सपर्ट गाइडेंस की अहमियत समझते हुए उन्होंने एक एकेडमी जॉइन कर ली।

लगातार तीन असफलताएं और फिर 41वीं रैंक

अश्वथी को शुरुआती दौर में असफलता का सामना करना पड़ा। वह पहले दो प्रयासों में प्रीलिम्स भी क्वालिफाई नहीं कर सकीं। तीसरे प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स तो क्लियर कर लिया, लेकिन फाइनल लिस्ट में 18 नंबर से रह गईं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

साल 2020 में, उनकी मेहनत रंग लाई, जब चौथे प्रयास में उन्होंने UPSC CSE में 41वीं शानदार रैंक के साथ अपना सपना पूरा किया और IPS बनने में सफल रहीं।

अश्वथी की सफलता की स्ट्रेटजी

अश्वथी की स्ट्रेटजी साफ और फोकस्ड थी। उन्होंने प्रीलिम्स के लिए मजबूत बेसिक, और मेन्स के लिए रोजाना आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस पर जोर दिया। उन्होंने निबंध, एथिक्स और भूगोल (उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट) जैसे स्कोरिंग पेपर्स पर खास ध्यान दिया।

वह इस बात पर ज़ोर देती हैं कि मेन्स ही ज़्यादातर सफलता तय करता है। उन्होंने कहा, "मेन्स का स्कोर तय करता है कि आप अंदर हैं या बाहर, क्योंकि इंटरव्यू में स्कोर करने के लिए बहुत कम नंबर होते हैं। इसलिए, उम्मीदवारों को मेन्स में अच्छा स्कोर करने के लिए पूरी लगन से आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस करनी चाहिए।"

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