अक्सर लोग सरकारी नौकरी की तलाश में रहते हैं, लेकिन डॉ. कामिनी सिंह ने इससे हटकर सोचा। उन्होंने अपनी सुरक्षित सरकारी नौकरी को छोड़कर अपना बिजनेस शुरू किया और आज उनकी कंपनी का टर्नओवर ₹2 करोड़ से भी ज्यादा है। डॉ. कामिनी की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक बड़ी सीख है जो जोखिम लेने से डरता है।
7 साल बाद छोड़ी सरकारी नौकरी
बनारस में बचपन बिताने और फिर लखनऊ में बसने वाली डॉ. कामिनी सिंह सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (CISH) में सीनियर रिसर्च के तौर पर काम करती थीं। उन्होंने करीब 7 साल तक सरकारी नौकरी की, लेकिन अंत में 2015 में उन्होंने इसे छोड़ने का फैसला किया।
नौकरी छोड़ने के बाद, उन्हें किसानों से जुड़ी एक कंपनी ने बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर जुड़ने का ऑफर दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस दौरान उनका किसानों से गहरा संपर्क हुआ, और जल्द ही उन्होंने अपनी खुद की राह बनाने का निर्णय लिया।
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क्यों चुना मोरिंगा प्रोजेक्ट?
डॉ. कामिनी सिंह ने साल 2017 में अपना बिजनेस शुरू किया और किसानों के साथ मोरिंगा (Moringa) प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। मोरिंगा (सहजन) को चुनने का कारण यह था कि इसकी खेती में किसी भी केमिकल की जरूरत नहीं होती। इस पेड़ की पत्तियां, जड़ और फल विटामिन से भरपूर होते हैं।
इसका इस्तेमाल एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-कैंसर, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायबिटिक गुणों वाली चीजों के लिए होता है। उन्होंने इस विचार को जैविक विकास कृषि संस्थान के रूप में धरातल पर उतारा।
हार नहीं मानी और लिया ₹9 लाख का लोन
डॉ. कामिनी ने कारोबार बढ़ाने के लिए काफी संघर्ष किया। साल 2018 में उन्होंने लखनऊ से एक घंटे की दूरी पर सिधौली में 7 एकड़ जमीन लीज पर ली और मोरिंगा की खेती की। लेकिन शुरुआत में उन्हें कोई खरीददार नहीं मिला। उन्होंने हार नहीं मानी और एक अलग रास्ता निकाला।
उन्होंने ₹9 लाख रुपये का लोन लिया और एक यूनिट स्थापित की, जिसमें उन्होंने मोरिंगा की पत्तियों को सुखाकर पाउडर बनाया। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने साबुन, कैप्सूल और तेल जैसे अन्य उत्पाद भी बनाने शुरू कर दिए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉ. कामिनी सिंह की कंपनी का टर्नओवर साल 2025 में ₹2 करोड़ से भी ज्यादा का है (पिछला टर्नओवर ₹1.75 करोड़ था)। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि चुनौतियों के सामने हार न मानना और हमेशा एक अलग समाधान खोजना ही सफलता की कुंजी है।
