कई लोगों के पास आपातकाल या व्यक्तिगत कारणों से सोने के गहने गिरवी रखकर लिया गया लोन चलता है — और इसकी ब्याज दर अक्सर बहुत ऊँची होती है। अगर आप 20%–25% तक की दर पर गोल्ड-लोन चला रहे हैं, तो वह आपकी बचत और बजट दोनों पर भारी पड़ सकता है। इस स्थिति में एक विकल्प है: Loan Against Mutual Funds (LAMF) — क्या इसे लेकर आप अपने महँगे गोल्ड-लोन को चुकता कर सकते हैं? आसान भाषा में देखते हैं कैसे काम करता है, क्या फायदे हैं और किन बातों का ध्यान रखें।
LAMF क्या है — सरल शब्दों में
Loan Against Mutual Fund यानी आप अपनी म्यूचुअल फंड यूनिट्स को गिरवी रखकर बैंक या NBFC से क्रेडिट लेते हैं — बिना यूनिट्स बेचने के। यह एक secured loan होता है और ब्याज दर अक्सर unsecured लोन से कम होती है। कई प्लेटफॉर्म्स (Groww, ICICI, HDFC आदि) यह सुविधा देते हैं।
एक छोटा-सा संख्यात्मक उदाहरण
मान लीजिए आपके पास ₹75,000 का गोल्ड-लोन है जो 24% प्रति वर्ष की दर पर चल रहा है। इसी राशि के लिए Loan Against Mutual Fund अगर आप 10% प्रति वर्ष की दर पर ले लें, तो ब्याज का अंतर स्पष्ट दिखता है:
विवरण | Gold Loan (24% p.a.) | LAMF (10% p.a.) |
---|---|---|
Principal | ₹75,000 | ₹75,000 |
सालाना ब्याज | ₹18,000 (≈ ₹1,500/माह) | ₹7,500 (≈ ₹625/माह) |
सालाना बचत (approx.) | ₹10,500 |
निष्कर्ष: सिर्फ ब्याज में ही आप लगभग 50% की बचत कर सकते हैं — जो मासिक बजट को काफी हल्का कर देता है।
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LAMF से Gold Loan चुकाने के फायदे
- कम ब्याज खर्च: अधिकांश मामलों में LAMF की दर गोल्ड-लोन से कम होती है।
- सोना वापस मिलता है: गोल्ड-गहना वापसी में आ जाता है और आप उसे बाद में उपयोग कर सकते हैं।
- निवेश बना रहता है: म्यूचुअल फंड यूनिट्स बिकती नहीं — अगर उनकी कीमत बढ़े तो आप लाभ उठा सकते हैं।
किन बातों का ध्यान रखें — छोटे लेकिन अहम जोखिम
हर बदलाव सिर्फ ब्याज से नहीं नापा जाता — कुछ चीजें ज़रूर देखें:
- Processing fees और चार्जेज़: नया लोन लेना और पुराने को बंद करना कुछ फीस के साथ आ सकता है — इन्हें पहले जोड़कर देखें।
- Lock-in और एलिजिबिलिटी: ELSS जैसे लॉक-इन फंड LAMF के लिए eligible नहीं होते। केवल वो यूनिट्स जो lender की approved list में हों, स्वीकार होंगी।
- Market risk: अगर आपने इक्विटी फंड गिरवी रखा है और NAV गिरता है, तो आपको top-up करना पड़ सकता है या कुछ यूनिट्स बेची जा सकती हैं।
- डिसिप्लिन ज़रूरी: नया लोन तभी लें जब आप सुनिश्चित हों कि वह सिर्फ पुराने महंगे लोन को खत्म करने में मदद करेगा — वरना debt doubling की समस्या हो सकती है।
क्या कदम उठाएँ — एक सरल गाइड
- सबसे पहले अपने existing gold-loan के terms देखें — ब्याज दर, prepayment charges, और outstanding amount नोट करें।
- अपने mutual fund folio देखें — कौन-सी स्कीमें हैं, क्या वे lender की approved list में आ सकती हैं, और क्या उन पर लॉक-इन है।
- Groww या अपने बैंक/लेंडर से पूछें — क्या वे आपकी specific fund scheme को LAMF के लिए accept करेंगे? (प्रमाणपत्र/statement ready रखें)।
- पूरा खर्च जोड़कर तुलना करें — नया ब्याज + processing fees vs मौजूदा गोल्ड-लोन का शेष भुगतान।
- यदि गणना सकारात्मक हो और जोखिम स्वीकार्य हो, तो LAMF लेकर गोल्ड-लोन बंद करें और नया रिपेमेंट प्लान रखें।
एक छोटा केस-स्टडी (आसान गणना)
अगर आप Gold-loan (₹75,000 @ 24%) पर काम कर रहे हैं और वही राशि आप LAMF (₹75,000 @ 10%) से बदलते हैं — मासिक कैश-फ्लो पर फर्क बड़ा दिखेगा। उदाहरण के लिए, पहले आपको ~₹1,500/माह सिर्फ ब्याज देना पड़ता था; नया विकल्प आपको ~₹625/माह interest दे रहा है — यह आपकी रोज़मर्रा की बचत बढ़ाता है और आप अतिरिक्त भुगतान से प्रिंसिपल भी जल्दी घटा सकते हैं।
Tip: अगर आप चाहें तो महीने के एक हिस्से को सिर्फ ब्याज में और बाकी को principal repayment में डालें — इससे लोन जल्दी खत्म होगा और कुल ब्याज भी कम होगा।
कब LAMF नहीं लेना चाहिए?
- अगर आपकी MF holding बहुत छोटी है और उसे गिरवी रखने से future gains खोने का डर है।
- यदि आपकी MF इक्विटी-है और बाजार अभी उल्टा चल रहा हो — तब margin call का जोखिम बढ़ता है।
- यदि processing fees, prepayment charges और अन्य खर्च जोड़ने पर भी कुल लागत कम नहीं आ रही।