अगर कोई ठान ले, तो बदलाव की मिसाल एक छोटे से गाँव से शुरू हो सकती है। उत्तर प्रदेश के राजपुर गाँव की प्रियंका तिवारी ने सिर्फ एक साल में इस बात को सच कर दिखाया है। 2021 में महज 29 साल की उम्र में सरपंच का चुनाव जीतकर, उन्होंने अपने गाँव को विकास की नई राह पर ला दिया।
पुरानी समस्याओं को बनाया चुनौती
राजस्थान में जन्मीं और दिल्ली में पली-बढ़ी, प्रियंका समाज के प्रति जागरूक रहीं और सामाजिक परिवर्तन में विश्वास रखती थीं। सरपंच बनने के बाद उन्होंने गाँव की खराब वेस्ट मैनेजमेंट, टूटी नालियों और सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं को दूर करने की ठानी।
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इन तीन कदमों से 75% प्लास्टिक-फ्री हुआ गाँव
प्रियंका ने सिर्फ एक साल में गाँव को 75% प्लास्टिक-फ्री बना दिया। इसके लिए उन्होंने तीन मुख्य कदम उठाए:
- दुकानदारों और घरों में कपड़े के बैग बाँटे।
- प्लास्टिक का इस्तेमाल करने पर जुर्माना लगाया।
- बच्चों को प्लास्टिक जमा करने पर इनाम दिया।
भूजल रीचार्ज से लेकर लाइब्रेरी तक
प्लास्टिक मुक्त बनाने के अलावा, प्रियंका ने गाँव में कई और बड़े बदलाव किए:
- ग्रेवॉटर रीसाइक्लिंग के लिए कम्युनिटी सोक पिट्स बनाए, जो अब भूजल को रीचार्ज करने में मदद कर रहे हैं।
- गाँव में क्रेमेटोरियम का निर्माण कराया, जिससे सभी जातियों और वर्गों के लिए सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
- बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षा के अवसर बढ़ाने के लिए एक लाइब्रेरी स्थापित की।
उनके इन ज़बरदस्त प्रयासों के लिए पंचायत को मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसका उपयोग गाँव में RO वॉटर प्लांट जैसी और विकास परियोजनाओं में किया गया है। प्रियंका तिवारी ने साबित कर दिया है कि जब नारी शक्ति आगे आती है, तो छोटे गाँव भी बड़ी बदलाव की कहानी लिख सकते हैं।
