सिर्फ 50,000 रुपये से शुरू किया था काम, आज 7 करोड़ का टर्नओवर! इस इंजीनियर ने नौकरी छोड़ कैसे बदली अपनी किस्मत?

सिर्फ 50,000 रुपये से शुरू किया था काम, आज 7 करोड़ का टर्नओवर! इस इंजीनियर ने नौकरी छोड़ कैसे बदली अपनी किस्मत?

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क्या एक छोटी सी बचत और एक बड़ा सपना आपको करोड़ों का मालिक बना सकता है? गुजरात के जामनगर की रिद्धि शर्मा की कहानी यही साबित करती है। एक आईटी इंजीनियर से सफल उद्यमी बनी रिद्धि ने सिर्फ 50,000 रुपये की शुरुआती पूंजी से अपनी पहली कंपनी शुरू की। आज उनकी दो कंपनियां करोड़ों का कारोबार कर रही हैं।

नौकरी छोड़कर बनीं उद्यमी

कॉलेज के दिनों में वॉलीबॉल, बैडमिंटन और टेबल टेनिस की खिलाड़ी रहीं रिद्धि ने इंजीनियरिंग के बाद एक आईटी कंपनी में कोडर के रूप में काम करना शुरू किया। लेकिन मार्केटिंग में उनकी रुचि ने उन्हें चार महीने में ही टीम लीडर बना दिया। फिर उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने पति रिपुल शर्मा के साथ मिलकर खुद का काम करने का फैसला किया। साल 2011 में, सिर्फ 50,000 रुपये की बचत से उन्होंने अपनी पहली कंपनी "वेबपिक्सल टेक्नोलॉजीज" शुरू की। शुरुआती दिनों में दोनों दिन में नौकरी करते और रात-रात भर जागकर अपने नए बिजनेस को बढ़ाते रहे।

बेटे के जन्म से मिला नया आइडिया

रिद्धि की जिंदगी में असली मोड़ तब आया, जब उनके बेटे का जन्म हुआ। एक माँ के रूप में उन्हें शिशुओं के लिए सुरक्षित और आयुर्वेदिक उत्पादों की कमी महसूस हुई। उनकी दादी ने घर पर ही बच्चे के लिए आयुर्वेदिक उबटन और तेल बनाए, जिनसे उनके बेटे को काफी फायदा हुआ। इसी अनुभव ने रिद्धि को एक मौका दिया। उन्होंने महसूस किया कि बाजार में विश्वसनीय आयुर्वेदिक बेबी प्रोडक्ट्स की कमी है। इसी को देखते हुए उन्होंने मार्च 2020 में अपने घर से ही "बेबीऑर्गेनो" नाम का एक हेल्थ और वेलनेस ब्रांड शुरू किया, जिसमें 2 लाख रुपये का निवेश किया।

7 करोड़ का टर्नओवर, सफलता की नई परिभाषा

"बेबीऑर्गेनो" की शुरुआत "हींग रोल-ऑन" जैसे उत्पादों से हुई। पहले छह महीनों में उन्हें सिर्फ 10,000 रुपये महीने का रेवेन्यू मिला, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जल्द ही उनके उत्पादों की गुणवत्ता ने लोगों का दिल जीत लिया और उनकी बिक्री तेजी से बढ़ने लगी। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का रेवेन्यू 2 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और अब यह बढ़कर 7 करोड़ रुपये तक हो गया है। आज उनकी 90% बिक्री अपनी वेबसाइट से होती है, जबकि बाकी 10% अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से आती है। रिद्धि की यह कहानी साबित करती है कि जुनून, कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

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