डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को अब वॉशिंगटन की बजाय सऊदी अरब और यूरोपीय यूनियन पर ध्यान देना चाहिए।
नई दिल्ली: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद से भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव देखा जा रहा है। एक तरफ ट्रंप भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वह पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर का शानदार स्वागत कर रहे हैं। मुनीर ने अमेरिका की धरती से भारत को परमाणु युद्ध की धमकी भी दी है। इन सब को देखते हुए रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. निशांत ओझा का कहना है कि भारत को अब अमेरिका की बजाय सऊदी अरब और यूरोप पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
भूराजनीतिक दोराहे पर भारत
डॉ. ओझा ने एक बातचीत में बताया कि भारत इस समय एक ऐसे भूराजनीतिक मोड़ पर खड़ा है, जहां पश्चिमी देशों पर भरोसा कम होता जा रहा है। वहीं, पश्चिम एशिया में भारत के लिए नए रणनीतिक मौके पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देश भले ही भारत के पुराने सहयोगी रहे हैं, लेकिन अब वे रिश्ते बढ़ाने में हिचकिचा रहे हैं। यूरोपीय यूनियन व्यापारिक डील को राजनीतिक मूल्यों से जोड़ता है और रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत का विरोध करता है, जबकि खुद अप्रत्यक्ष रूप से मॉस्को से एलएनजी खरीद रहा है।
सऊदी अरब से 161 अरब डॉलर का व्यापार
डॉ. ओझा के मुताबिक, खाड़ी देश भारत को ऊर्जा सुरक्षा, भारतीय प्रवासियों और कॉरिडोर कनेक्टिविटी के लिए एक मजबूत ढांचा दे रहे हैं। भारत का करीब 60% तेल और 70% गैस खाड़ी देशों से ही आता है। भारत और खाड़ी देशों के बीच सालाना व्यापार 161 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसके अलावा, खाड़ी देशों में रहने वाले 90 लाख भारतीय हर साल 50 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलती है।
मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (IMEEC) को भारत, खाड़ी देशों, यूरोपीय संघ और अमेरिका का समर्थन है। यह कॉरिडोर भारत को खाड़ी देशों (यूएई और सऊदी अरब) के रास्ते इजरायल के हाइफा पोर्ट से और वहां से यूरोप तक जोड़ेगा। इससे दक्षिणी यूरोप सीधे भारत से जुड़ जाएगा।
भारत की 'लुक वेस्ट' नीति
डॉ. ओझा ने बताया कि भारत अब 'लुक वेस्ट' की नीति पर काम कर रहा है। इसके तहत पश्चिम एशिया के देशों के साथ व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और प्रवासी भारतीयों के मामले में सहयोग बढ़ाया जा रहा है। भारतीय नौसेना भी खाड़ी देशों में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। यूएई और ओमान के साथ हवाई और नौसैनिक अभ्यास भी किए जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को खाड़ी देशों को ब्रह्मोस मिसाइल और युद्धपोत बेचने चाहिए ताकि सुरक्षा के मामले में उनकी निर्भरता बढ़ सके। इसके अलावा, इजरायल और ईरान दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने चाहिए ताकि हाई-टेक तकनीक में सहयोग और चाबहार पोर्ट जैसे रणनीतिक प्रोजेक्ट आगे बढ़ सकें। डॉ. ओझा ने निष्कर्ष निकाला कि भारत को यूरोप, खाड़ी देशों और एशिया के बीच एक पुल की भूमिका निभाने के लिए एक रोडमैप तैयार करना चाहिए।