ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदली भारत की फ्रेंडलिस्ट! अमेरिका आउट, रूस टॉप पर और चीन को मिला ध्यान

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदली भारत की फ्रेंडलिस्ट! अमेरिका आउट, रूस टॉप पर और चीन को मिला ध्यान


नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की विदेश नीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। अब अमेरिका फ्रेंडलिस्ट में नीचे खिसक गया है, जबकि रूस टॉप पर पहुंच गया है। चीन को भी तवज्जो मिल रही है, लेकिन बेहद सतर्कता के साथ।

टैरिफ और सीजफायर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाज़ी ने भारत-अमेरिका के रिश्तों में खटास पैदा कर दी है। वहीं, रूस के साथ भारत के संबंध और भी मजबूत हुए हैं।

Operation Sindoor Rewrites India’s Friend List


रूस बना भारत का सबसे भरोसेमंद साथी

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने रूसी हथियारों के दम पर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने कई पाकिस्तानी ड्रोन मार गिराए। इसने साबित कर दिया कि रूस हर संकट में भारत के साथ खड़ा रहता है।

जब अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर दबाव बनाया, तब भी मॉस्को ने दो टूक कह दिया कि कौन किससे व्यापार करेगा, यह उसका निजी मामला है। ट्रंप की नाराजगी के बावजूद पुतिन और मोदी की दोस्ती और मजबूत हो रही है।

NSA डोभाल की मॉस्को यात्रा ने दिया बड़ा संकेत

जब ट्रंप टैरिफ पर लगातार धमकियां दे रहे थे, तब भारत के NSA अजीत डोभाल रूस पहुंचे। वहां उन्होंने रक्षा और द्विपक्षीय सहयोग पर बातचीत की। इससे पहले रूस के उपसेना प्रमुख ने भारत के राजदूत से मुलाकात की।

ये सब दिखाता है कि नई दिल्ली और मॉस्को के रिश्ते ट्रंप की बयानबाज़ी से प्रभावित नहीं हो रहे हैं, बल्कि और गहराते जा रहे हैं।

अमेरिका को झटका, चीन को मिली अहमियत

ट्रंप की बातों से भारत साफ समझ गया है कि अमेरिका अब पहले जैसा भरोसेमंद दोस्त नहीं रहा। सीजफायर क्रेडिट लेने की होड़ और टैरिफ विवाद ने रिश्तों में दूरी ला दी है।

ऐसे में भारत अब चीन के साथ रिश्तों को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रहा है।

भारत-चीन के टॉप लेवल दौरे तेज

जून में NSA अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन दौरा किया। जुलाई में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी वहां पहुंचे।

अब 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच प्रधानमंत्री मोदी खुद चीन जाने वाले हैं। वे SCO समिट में हिस्सा लेंगे और शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात भी हो सकती है।

यह पीएम मोदी का 7 साल बाद चीन दौरा होगा। इससे पहले वे 2018 में वहां गए थे।

चीन से दोस्ती लेकिन "सावधानी जरूरी"

भारत और चीन के बीच गलवान झड़प (2020) के बाद रिश्तों में खटास आई थी। लेकिन अब मानसरोवर यात्रा, चीनी टूरिस्ट वीज़ा, और सीधी उड़ानों पर फिर से बातचीत शुरू हुई है।

भारत चीन के साथ डील तो कर रहा है, लेकिन ड्रैगन पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकता। ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने चीन की संदिग्ध भूमिका को भी उजागर किया था।

यही कारण है कि चाहे रिश्ते सुधरें, फ्रेंडलिस्ट में जिनपिंग कभी टॉप पर नहीं होंगे। क्योंकि चीन ने बार-बार भारत को धोखा दिया है।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने