सबसे बड़ी त्रासदी बनी सफलता की सीढ़ी: 10,000 की सैलरी से शुरू हुआ सफर, आज 486 करोड़ की कंपनी के मालिक!

सबसे बड़ी त्रासदी बनी सफलता की सीढ़ी: 10,000 की सैलरी से शुरू हुआ सफर, आज 486 करोड़ की कंपनी के मालिक!

Title

यह कहानी है दृढ़ता, संघर्ष और अदम्य साहस की। यह बताती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी को अपनी सफलता की सीढ़ी बना सकता है। हम बात कर रहे हैं विवेक रैना की, जो बचपन में कश्मीर से विस्थापित होकर जम्मू में एक कमरे के किराए के मकान में रहने को मजबूर हो गए थे। आज वह एक सफल इंटरनेट कंपनी एक्साइटेल (Excitel) के संस्थापक हैं, जिसका कारोबार 486 करोड़ रुपये से ज्यादा का है।

विवेक रैना की कहानी मुश्किलों से लड़कर सफलता हासिल करने की एक मिसाल है। 1990 में कश्मीर में अशांति के कारण उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत से उन्होंने एक बड़ा मुकाम हासिल किया। सिर्फ 10,000 रुपये की सैलरी से शुरुआत करके, आज उन्होंने 486 करोड़ रुपये का इंटरनेट कारोबार खड़ा कर दिया है। साल 2015 में उन्होंने एक्साइटेल (Excitel) की शुरुआत की थी, जो एक इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी है। आइए, जानते हैं विवेक रैना के इस प्रेरणादायक सफर के बारे में।

शून्य से शिखर तक का सफर

1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद फैल रहा था, 13 साल के विवेक रैना और उनके परिवार को अपना आलीशान पुश्तैनी घर छोड़कर भागना पड़ा। श्रीनगर में उनका 14 कमरों का घर था। लेकिन, जम्मू पहुंचकर उन्हें एक छोटे से कमरे के किराए के मकान में रहना पड़ा। उनके पिता राज्य सरकार में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी थे और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके बच्चों की शिक्षा पर कोई आंच न आए। इस मुश्किल समय में विवेक रैना के लिए हर नया स्थान एक रोमांच की तरह था, जबकि उनके माता-पिता के लिए यह एक कठिन अनुभव था। जम्मू का नया माहौल उनके लिए पूरी तरह से अलग था, लेकिन विवेक ने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया।

विस्थापन के कारण विवेक रैना को अपनी पढ़ाई में छह महीने का नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन, उन्होंने इसे अपने भविष्य के लिए बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने 1994 में अपनी 12वीं कक्षा पूरी की। कश्मीरी पंडितों के बीच यह आम धारणा थी कि बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहिए, लेकिन विवेक को इसमें रुचि नहीं थी। हालांकि, उन्होंने अपने पिता को खुश करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। अपनी रुचि को बनाए रखने के लिए, उन्होंने उसी दौरान डिस्टेंस लर्निंग के जरिये इंग्लिश लिटरेचर में भी बीए किया। बाद में, उन्होंने पुणे यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में एमबीए किया।

विवेक की पहली नौकरी हैथवे (Hathway) में लगी, जहां उनकी सैलरी सिर्फ 10,000 रुपये थी। कंपनी तब छोटे कार्यालयों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन बेचती थी। इसके बाद उन्होंने रिलायंस, ब्रॉडबैंड पेसनेट और डिजिकेबल जैसी कंपनियों में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

एक्साइटेल की शुरुआत और सफलता

2015 में विवेक रैना को कुछ बुल्गारियाई उद्यमियों से मिलने का मौका मिला, जो भारत में व्यापार के अवसर तलाश रहे थे। इस मुलाकात ने एक्साइटेल की नींव रखी। विवेक अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक्साइटेल के सह-संस्थापक बने। उन्होंने नेवेक वेंचर्स (Neveq Ventures) से 12 करोड़ रुपये जुटाए और कंपनी की शुरुआत की। उनका शुरुआती लक्ष्य पहले साल में 50,000 कनेक्शन देने का था, लेकिन उन्होंने इसे पार करते हुए 1 लाख कनेक्शन तक पहुंचा दिया। इससे पहले ही साल में 5 करोड़ रुपये का टर्नओवर हुआ।

आज एक्साइटेल भारत के 30 से ज्यादा शहरों में मौजूद है, जिनमें दिल्ली, यूपी, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। एक्साइटेल ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में लगातार रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की है। यह वित्त वर्ष 2019-20 में 139.43 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 486.84 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें लगभग 3,000 कर्मचारी कार्यरत हैं।

जड़ों से जुड़े रहना

सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी विवेक रैना अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। 2008 में उन्होंने शैली रैना से शादी की और उनकी एक बेटी है। आज वह दिल्ली के आलीशान घर में रहते हैं, लेकिन उन्हें अभी भी अपने श्रीनगर के पुश्तैनी घर की यादें आती हैं। 2011 में उन्होंने श्रीनगर में एक घर खरीदा, जहां वह अक्सर जाते रहते हैं। यह उनकी सबसे पसंदीदा जगह है। उनकी कहानी दृढ़ता, शिक्षा और दृढ़ संकल्प की शक्ति का सच्चा उदाहरण है। उन्होंने न केवल अपने परिवार के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया, बल्कि देश में इंटरनेट के परिदृश्य को भी बदला है। उनका जीवन उन सभी उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने