भारतीय वायुसेना (IAF) अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है। खबर है कि IAF ने 114 राफेल लड़ाकू जेट खरीदने का मन बना लिया है। यह खरीद MRFA (Multi-Role Fighter Aircraft) टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए, सीधे फ्रांस के साथ सरकारी-स्तर पर (government-to-government) डील के जरिए की जाएगी।
इस फैसले के पीछे का मुख्य कारण लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया को तेज करना है। IAF का लक्ष्य है कि इस डील के लिए अक्टूबर 2025 तक डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल (DAC) की मंजूरी ले ली जाए, ताकि इन शक्तिशाली लड़ाकू विमानों को जल्द से जल्द वायुसेना में शामिल किया जा सके।
MRFA टेंडर क्यों टाला गया?
पहले 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद के लिए MRFA टेंडर जारी किया जाना था, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेतीं। लेकिन, अब IAF इस लंबी और जटिल प्रक्रिया से बचना चाहती है। सरकारी-स्तर पर सीधी डील से समय की बचत होगी और विमानों की डिलीवरी भी जल्दी शुरू हो सकेगी, जो देश की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
क्या है आगे का प्लान?
IAF अब फ्रांस सरकार के साथ सीधे बातचीत करेगी। इस डील में राफेल जेट्स की कीमत, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और मेंटेनेंस जैसे अहम बिंदुओं पर चर्चा होगी। अक्टूबर 2025 तक DAC की मंजूरी मिलने के बाद, दोनों देशों के बीच औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह कदम वायुसेना को नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों से लैस करने और उसकी युद्ध क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा।
यह फैसला भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। राफेल जेट्स की आधुनिक तकनीक और मारक क्षमता भारतीय वायुसेना को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक मजबूत बढ़त देगी।