रोमांचक ऑपरेशन: वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना मचादो को देश से बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद जटिल और जोखिम भरा था। इस ऑपरेशन में भेष बदलना, उग्र समंदर में नाव से सफ़र और फिर फ़्लाइट से सुरक्षित निकलना शामिल था।
'गोल्डन डायनामाइट' मिशन
इस सीक्रेट ऑपरेशन का नेतृत्व 'ग्रे बुल रेस्क्यू फ़ाउंडेशन' के संस्थापक और अमेरिकी स्पेशल फ़ोर्सेस के पूर्व सैनिक ब्रायन स्टर्न ने किया। स्टर्न ने ही बीबीसी को इस मिशन की जानकारी दी। इस ऑपरेशन को 'गोल्डन डायनामाइट' नाम दिया गया, क्योंकि "नोबेल ने डायनामाइट का आविष्कार किया था" और मचादो ओस्लो जाकर नोबेल शांति पुरस्कार स्वीकार करना चाहती थीं।
- मचादो: पिछले साल हुए विवादित चुनावों के बाद से वह अपने ही देश में छिपकर रह रही थीं और जनवरी के बाद से सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दी थीं।
- लक्ष्य: नोबेल शांति पुरस्कार लेने के लिए नॉर्वे के ओस्लो सुरक्षित पहुँचना।
भीषण ठंड और 10 फ़ीट ऊंची लहरें
स्टर्न बताते हैं कि यह सफ़र ठंड, अंधेरे और पानी से भीगा हुआ था, लेकिन मचादो ने एक बार भी शिकायत नहीं की।
रेस्क्यू टीम ने मचादो को उस घर से निकाला, जहाँ वह छिपी हुई थीं और ज़मीन के रास्ते एक छोटी नाव पिक-अप पॉइंट तक ले जाया गया। उस नाव ने उन्हें तट से दूर एक बड़ी नाव तक पहुंचाया, जहाँ उनकी मुलाकात स्टर्न से हुई।
"समंदर बहुत उग्र था। चारों तरफ़ घना अंधेरा था। लहरें 10 फ़ीट (करीब 3 मीटर) तक ऊंची थीं। यह बेहद डरावना था, बहुत कुछ ग़लत हो सकता था।" - ब्रायन स्टर्न
स्टर्न ने बताया कि बायोमेट्रिक पहचान और फ़ोन के ज़रिए ट्रैक न किया जा सके, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरे सफ़र के दौरान मचादो का चेहरा और डिजिटल पहचान छिपाने के लिए कई क़दम उठाए गए।
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बच्चों से मिलीं मचादो, लौटना चाहती हैं देश
इतने जोखिम के बावजूद, मचादो बुधवार की आधी रात से ठीक पहले नॉर्वे के ओस्लो सुरक्षित पहुंचीं। वहाँ उनका स्वागत करने के लिए उनके बच्चे मौजूद थे, जिनसे वह दो साल से नहीं मिली थीं।
मचादो ने कहा है कि वह वेनेज़ुएला लौटने का इरादा रखती हैं, लेकिन ब्रायन स्टर्न ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी। स्टर्न ने कहा, "मैंने उनसे कहा 'वापस मत जाइए। आप एक माँ हैं। हमें आपकी ज़रूरत है।'"
स्टर्न ने यह भी स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन के लिए फंडिंग डोनर्स ने की थी, अमेरिकी सरकार ने नहीं। हालांकि, उन्होंने कुछ देशों की ख़ुफ़िया और कूटनीतिक सेवाओं के साथ तालमेल बिठाया था, जिसमें अमेरिका को अनौपचारिक रूप से सूचना देना भी शामिल था।
