फौजी कभी रिटायर नहीं होता! दिन में ATM की सुरक्षा, रात में उसी की लाइट में बच्चों का भविष्य संवार रहा यह गार्ड

फौजी कभी रिटायर नहीं होता! दिन में ATM की सुरक्षा, रात में उसी की लाइट में बच्चों का भविष्य संवार रहा यह गार्ड

Ex-Army Man Brijendra Singh ATM Guard Teacher Story

देहरादून: देश की सेवा करने का जज्बा वर्दी उतारने के बाद भी कम नहीं होता। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक ऐसी दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है, जो बताती है कि असली नायक (Real Heroes) हमारे बीच ही होते हैं। भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त सैनिक बृजेंद्र सिंह, जो आज एक सुरक्षा गार्ड हैं, उन्होंने शिक्षा की एक ऐसी अलख जगाई है कि पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है।

ATM की रोशनी में गढ़ी जा रही सफलता की कहानी

देहरादून में इलाहाबाद बैंक के एक ATM पर तैनात बृजेंद्र सिंह दिन भर तो बैंक की सुरक्षा करते हैं, लेकिन शाम ढलते ही उनका एक और रूप देखने को मिलता है। जब सूरज डूबता है, तब बृजेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक असाधारण कक्षा शुरू होती है। ATM से छनकर आने वाली रोशनी में आसपास की झुग्गियों के करीब 25 बच्चे इकट्ठा होते हैं। ये वो बच्चे हैं जो गरीबी के कारण अक्सर भीख मांगने या मजदूरी करने को मजबूर होते हैं।

16 सालों से निस्वार्थ सेवा, न शोहरत की चाह न इनाम का लालच

बृजेंद्र सिंह केवल बच्चों को अक्षर ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि उन्हें अनुशासन, नैतिक मूल्य और जीवन में कभी न हार मानने की सीख भी देते हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह निस्वार्थ कार्य वह पिछले 16 सालों से कर रहे हैं। बिना किसी प्रचार और बिना किसी आर्थिक मदद के, वह चुपचाप देश के भविष्य को गढ़ने में लगे हुए हैं।

"वह दिन में पैसे की सुरक्षा करते हैं और रात में सपनों की पहरेदारी। उनके लिए शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार है।"

लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने दुनिया को बताया सच

इस खामोश नायक की कहानी दुनिया के सामने तब आई, जब प्रसिद्ध गढ़वाली लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने बृजेंद्र सिंह के इस महान कार्य को सोशल मीडिया पर साझा किया। नेगी जी की पोस्ट के बाद से ही लोग बृजेंद्र सिंह के जज्बे को सलाम कर रहे हैं। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि एक सच्चा सैनिक कभी सेवा करना बंद नहीं करता।

शिक्षा को बनाया गरीबी के खिलाफ हथियार

बृजेंद्र सिंह का मानना है कि गरीबी को केवल शिक्षा के माध्यम से ही मिटाया जा सकता है। झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को अपराध और नशे की दुनिया से बचाकर स्कूल तक ले जाना उनकी प्राथमिकता है। उनका यह संघर्ष समाज के हर वर्ग के लिए एक बड़ी सीख है।

हमें ऐसे ही भारत की जरूरत है, जहां हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार समाज को कुछ वापस देने का प्रयास करे। बृजेंद्र सिंह के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए हमें इस कहानी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना चाहिए ताकि अन्य लोग भी प्रेरित हो सकें।

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