यह एक ऐसी प्रेम कहानी है, जिसे देश सालों तक याद रखेगा। यह कहानी है कैप्टन रिया श्रीवास्तव की, जिन्होंने अपने शहीद पति की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सेना की वर्दी पहनी और सात साल तक गर्व के साथ देश की सेवा की।
21 साल की उम्र में हुई शादी, 29 में पति हुए शहीद
रिया श्रीवास्तव ने सिर्फ 21 साल की उम्र में अपने प्यार, कैप्टन सोमेश श्रीवास्तव, से शादी की थी। उनके जीवन का सफर लद्दाख की खूबसूरत लेकिन मुश्किल परिस्थितियों में शुरू हुआ, जहां उन्होंने पहली बार भारतीय सैनिकों के साहस और बलिदान को करीब से देखा।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। साल 2001 में, मात्र 29 साल की उम्र में, कैप्टन सोमेश लद्दाख में बर्फ हटाने के अभियान के दौरान शहीद हो गए। एक कर्तव्यनिष्ठ बेटे, भाई और पति अपने पीछे अपनी साहस की एक अमिट विरासत छोड़ गए।
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पति के सम्मान में पहनी वर्दी
पति के बलिदान से प्रेरणा लेकर रिया ने सेना से जुड़ने का फैसला किया। उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में दाखिला लिया और 2002 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया। सात साल तक, उन्होंने कैप्टन रिया श्रीवास्तव के रूप में अरुणाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में महत्वपूर्ण सप्लाई चेन (critical supply chains) में सेवा दी।
रिया बताती हैं, "अपने पति के स्टार वाली वर्दी पहनना मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। जब भी मैं किसी मुश्किल से जूझती हूँ, तो खुद को याद दिलाती हूँ कि मैंने बहुत लंबा सफर तय किया है।"
वर्दी के बाद शेफ के पैशन को दिया समय
साल 2008 में अपनी सेवा पूरी करने के बाद, रिया ने कॉर्पोरेट करियर में कदम रखा और साथ ही शेफ के रूप में अपने पैशन को भी पूरा किया। भले ही आज उन्होंने वर्दी उतार दी हो, लेकिन वे कहती हैं कि भारतीय सेना के मूल्य—अनुशासन और सेवा की भावना—आज भी उनके जीवन जीने का तरीका है। कैप्टन रिया श्रीवास्तव की यह कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है, जो यह सिखाती है कि सच्चा प्यार और बलिदान देश सेवा के रूप में भी अभिव्यक्त हो सकता है।
