भारत की बेटी मीनाक्षी हुड्डा ने लिवरपूल में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2025 में महिलाओं के 48 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। 24 साल की इस मुक्केबाज ने कजाकिस्तान की ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट नाज़िम किज़ाइबे को 4-1 से हराकर यह शानदार जीत हासिल की। यह इस चैंपियनशिप में भारत का दूसरा स्वर्ण पदक था और भारतीय महिला टीम ने कुल चार पदकों (दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य) के साथ अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
गरीबी को मात देकर बनीं चैंपियन
मीनाक्षी का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। हरियाणा के रोहतक जिले के एक छोटे से गांव रुरकी में एक ऑटो-रिक्शा चालक श्रीकृष्ण हुड्डा की बेटी, मीनाक्षी ने गरीबी और चुनौतियों के बावजूद कभी हार नहीं मानी। 12 साल की उम्र में उन्होंने स्थानीय अकादमी में ट्रेनिंग शुरू की, जहां कोच विजय हुड्डा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनका साथ दिया।
उनकी मेहनत रंग लाई और 2017 में वह सब-जूनियर नेशनल चैंपियन बनीं। इसके बाद उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल और कई नेशनल खिताब जीते। 2025 में उन्होंने अपना वजन घटाकर 48 किलोग्राम कर दिया और नेशनल चैंपियनशिप में विश्व चैंपियन नीतू घंघास को हराकर सबको हैरान कर दिया।
जीत के बाद छलक पड़ी खुशी
अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद मीनाक्षी ने भावुक होकर कहा, "मुझे खुशी है कि मैंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता। इस बार जब मैं विश्व चैंपियनशिप में गई थी, तो मैंने ठान लिया था कि सोना ही लाना है।" उन्होंने आगे कहा कि उनके माता-पिता बहुत खुश हैं कि उन्होंने उन्हें और देश को गौरवान्वित किया है।
मीनाक्षी के पिता श्रीकृष्ण ने बेटी की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, "मेरी छोरी ने दुनिया जीत ली!" उनकी यह जीत न केवल उनकी मेहनत का नतीजा है, बल्कि हर भारतीय बेटी के लिए एक संदेश भी है कि अगर सपने बड़े हों, तो मुश्किलें छोटी लगती हैं।