मज़दूर की बेटी बनी CISF हेड कॉन्स्टेबल! गरीबी और तंगी भी नहीं रोक पाईं इसके सपनों की उड़ान

मज़दूर की बेटी बनी CISF हेड कॉन्स्टेबल! गरीबी और तंगी भी नहीं रोक पाईं इसके सपनों की उड़ान

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यह कहानी है खुशी नाम की एक बहादुर लड़की की, जिसने साबित कर दिया कि हालात किसी की मंजिल को तय नहीं कर सकते। उसके पिता एक दिहाड़ी मज़दूर हैं और माँ गृहिणी, लेकिन घर की तंगी भी खुशी के सपनों के सामने कभी नहीं टिक पाई। आज यही लड़की अपनी मेहनत और लगन के दम पर CISF की हेड कॉन्स्टेबल बन चुकी है।

हिम्मत और लगन ने दिखाया कमाल

खुशी ने कक्षा 9 से ही 'स्वयं कार्यक्रम' के तहत आत्मरक्षा और वुशु की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था। रोजाना साइकिल से दूर-दराज के इलाकों में जाकर अभ्यास करना, साथ में पढ़ाई जारी रखना और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना आसान नहीं था, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।

खेलो इंडिया में जीते कई मेडल

उसकी लगन और कड़ी मेहनत ने आखिरकार रंग दिखाया। खुशी ने खेलो इंडिया और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीतकर अपनी पहचान बनाई। उसकी यह सफलता इस बात का एक जीता-जागता सबूत है कि अगर इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी छोटी पड़ जाती हैं। खुशी की यह कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने हालातों को अपनी किस्मत मान लेते हैं।

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