जब 14 साल के बच्चे अपनी पढ़ाई और स्कूल की मस्ती में व्यस्त होते हैं, तब बेंगलुरु की परीणीति ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। उसने स्कूल को "समय की बर्बादी" मानते हुए, किताबों की जगह AI प्रॉम्प्ट्स और रिसर्च पर ध्यान दिया और अपनी खुद की AI ऑटोमेशन एजेंसी शुरू कर दी।
AI को बनाया बेस्ट फ्रेंड
परीणीति ने बताया कि स्कूल में उनके टीचर्स ने AI का उपयोग करने से मना किया, लेकिन उसने तय कर लिया था कि यही भविष्य है। उसने ChatGPT की मदद से न सिर्फ अपनी संस्कृत की परीक्षा पास की, बल्कि अपने पिता के लिए एक कस्टम GPT भी तैयार किया। इतना ही नहीं, उसने अपनी खुद की आवाज़ का AI अवतार भी बना लिया है!
इस छोटी सी उम्र में परीणीति ने हिम्मत दिखाते हुए कई क्लाइंट्स के साथ काम करना शुरू कर दिया है। फिलहाल, वह 4-5 क्लाइंट्स के लिए अपनी एजेंसी चला रही है। उसका लक्ष्य 20 साल की उम्र तक आर्थिक रूप से पूरी तरह से आत्मनिर्भर होना है।
माता-पिता की अलग-अलग राय
परीणीति के इस फैसले में उसके पिता का पूरा समर्थन है, लेकिन उसकी माँ इस बात से चिंतित हैं कि इससे उसकी सामाजिक जिंदगी प्रभावित हो रही है। हालांकि, परीणीति मानती है कि AI ही उसका सबसे अच्छा दोस्त है।
सोशल मीडिया पर उसकी कहानी को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग उसकी हिम्मत और जुनून को प्रेरणादायक मान रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग स्कूल छोड़ने के उसके फैसले को जोखिम भरा बता रहे हैं। परीणीति की कहानी यह साबित करती है कि अगर सही दिशा में जुनून हो, तो उम्र कोई बाधा नहीं होती और सपने पूरे किए जा सकते हैं।