30,000 करोड़ की विरासत पर 'महाभारत', करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर के निधन के बाद छिड़ा विवाद

30,000 करोड़ की विरासत पर 'महाभारत', करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर के निधन के बाद छिड़ा विवाद

पोलो खेलते हुए हुई थी कारोबारी संजय कपूर की मौत, मां ने उठाए सवाल, पत्नी को मिली कंपनी में जगह।

नई दिल्ली: इसी साल जून में एक भारतीय उद्योगपति की अचानक मौत के बाद देश की एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी में विरासत को लेकर जबरदस्त विवाद छिड़ गया है। 12 जून को पोलो खेलते समय हार्ट अटैक से 53 साल के संजय कपूर का निधन हो गया था। संजय कपूर, करिश्मा कपूर के पूर्व पति थे और 3.6 अरब डॉलर (करीब 30,000 करोड़ रुपये) के कारोबारी साम्राज्य 'सोना कॉमस्टार' के उत्तराधिकारी थे।

मां रानी कपूर ने उठाए सवाल

संजय कपूर की मौत के बाद उनकी मां रानी कपूर ने 'सोना कॉमस्टार' के बोर्ड को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अपने बेटे की मौत और कंपनी में हुई नई नियुक्तियों पर सवाल उठाए। बीबीसी द्वारा देखे गए इस पत्र में रानी कपूर ने आरोप लगाया कि उनके बेटे की मौत "बेहद संदिग्ध और अस्पष्ट परिस्थितियों" में हुई। हालांकि, सरे के कोरोनर कार्यालय ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि संजय कपूर की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी और जांच बंद कर दी गई है।

रानी कपूर ने यह भी दावा किया कि बेटे की मौत के सदमे में होने के कारण उनसे अहम दस्तावेजों पर जबरदस्ती दस्तखत करवाए गए। उन्होंने पत्र में लिखा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब मैं और मेरा परिवार सदमे में हैं, कुछ लोगों ने विरासत पर कब्जा करने और नियंत्रण हथियाने का मौका चुना।"

पत्नी प्रिया सचदेव को मिली बड़ी जिम्मेदारी

रानी कपूर ने बोर्ड से सालाना आम बैठक (AGM) टालने की भी मांग की थी, ताकि परिवार के प्रतिनिधि का फैसला हो सके। लेकिन कंपनी ने उनकी मांग को नजरअंदाज करते हुए अगले ही दिन एजीएम आयोजित की और संजय कपूर की तीसरी पत्नी प्रिया सचदेव को नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नियुक्त कर दिया।

रानी कपूर ने दावा किया कि 2015 में उनके पति द्वारा छोड़ी गई वसीयत के अनुसार, सोना ग्रुप में वही एकमात्र लाभार्थी हैं। हालांकि, कंपनी ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि 2019 से उनका कंपनी में कोई सीधा रोल नहीं रहा है। कंपनी ने रानी कपूर को एक कानूनी नोटिस भी भेजा है, जिसमें उनसे 'झूठे और दुर्भावनापूर्ण' बयान देना बंद करने को कहा गया है।

भारत में आम हैं ऐसे विवाद

विशेषज्ञों का मानना है कि कपूर परिवार का यह विवाद कोई अकेला मामला नहीं है। भारत में 90 फीसदी कंपनियां परिवार द्वारा नियंत्रित हैं, लेकिन उनमें से केवल 63 फीसदी के पास ही उत्तराधिकार की औपचारिक योजना है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर भारतीय पारिवारिक व्यवसाय में स्पष्टता की कमी होती है, जिससे परिवार के मुखिया के निधन के बाद विवाद पैदा हो जाते हैं।

मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच रिलायंस साम्राज्य को लेकर हुआ विवाद, बजाज परिवार में हुआ झगड़ा और हाल ही में रेमंड ग्रुप और लोढ़ा भाइयों के बीच सामने आए पारिवारिक झगड़े इसके कुछ बड़े उदाहरण हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन विवादों का सीधा असर कंपनी के शेयर की कीमतों और भविष्य पर पड़ता है।

अब कुछ परिवार पुरानी गलतियों से सीख रहे हैं। बजाज ग्रुप में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उत्तराधिकार की योजना बनाई गई। वहीं, गोदरेज ग्रुप ने भी आपसी सहमति से अपने कारोबार का बंटवारा किया। मुकेश अंबानी ने भी अपने तीनों बच्चों को पहले से ही कारोबार की कमान सौंपकर भविष्य की तैयारी शुरू कर दी है।

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