अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली बैठक का भारत ने स्वागत किया, कहा- यह युद्ध का युग नहीं है।
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़े हुए हों, लेकिन भारत अपनी शांति की नीति पर अडिग है। ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की होने वाली मुलाकात को लेकर भारत ने एक बड़ा बयान जारी किया है। भारत का साफ कहना है, "कैसे भी हो, बस जंग रुकनी चाहिए।" यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस रुख से मेल खाता है, जिसमें उन्होंने कई बार कहा है कि "यह युद्ध का युग नहीं है।"
15 अगस्त को अलास्का में होने वाली यह बैठक न केवल अमेरिका और रूस के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यूक्रेन में पिछले चार साल से जारी युद्ध में लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों जानें जा चुकी हैं। ऐसे में भारत को उम्मीद है कि यह मुलाकात 'शांति की खिड़की' खोल सकती है।
भारत का आधिकारिक रुख
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "भारत, अमेरिका और रूसी संघ के बीच 15 अगस्त 2025 को अलास्का में होने वाली बैठक का स्वागत करता है। यह बैठक यूक्रेन में जारी संघर्ष को खत्म करने और शांति की संभावनाओं को खोलने का वादा करती है।" बयान में आगे कहा गया कि भारत किसी भी ऐसे प्रयास का समर्थन करेगा जो हिंसा को रोकने और कूटनीति के जरिए हल खोजने में मदद करे।
विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी का वह बयान भी दोहराया, जो उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिया है- "यह युद्ध का युग नहीं है।" भारत ने साफ किया कि वह इस शिखर वार्ता का समर्थन करता है और अगर जरूरत पड़ी तो शांति बहाल करने की कोशिशों में योगदान देने के लिए तैयार है।
ट्रंप-पुतिन शिखर वार्ता पर नजरें
शनिवार को ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर इस मुलाकात की पुष्टि की। उन्होंने लिखा, "अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में मेरी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बहुप्रतीक्षित बैठक अगले शुक्रवार, 15 अगस्त 2025 को अमेरिका के ग्रेट स्टेट अलास्का में होगी।" यह ऐलान उन अटकलों को खत्म करता है कि यह बैठक संयुक्त अरब अमीरात में हो सकती थी। माना जा रहा है कि अमेरिकी प्रशासन ने सुरक्षा और कूटनीतिक कारणों से घरेलू लोकेशन पर जोर दिया।
चार साल पुराना युद्ध और पहली आधिकारिक मुलाकात
अलास्का में होने वाली यह बैठक ट्रंप के जनवरी 2025 में शुरू हुए दूसरे कार्यकाल के बाद पुतिन के साथ उनकी पहली आधिकारिक बातचीत होगी। इससे पहले जून 2021 में जेनेवा में पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन और पुतिन की मुलाकात हुई थी। अब जब यूक्रेन युद्ध अपने चौथे साल में पहुंच चुका है, पूरी दुनिया इस बातचीत को लेकर उम्मीद लगाए बैठी है।
बैठक का एजेंडा अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि चर्चा का केंद्र यूक्रेन संघर्ष ही रहेगा। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है क्योंकि वह लगातार युद्ध को रोकने और मानवीय संकट को खत्म करने के लिए कूटनीतिक रास्ते पर जोर देता आया है। भारत ने भले ही सीधे तौर पर मध्यस्थ की भूमिका का दावा नहीं किया है, लेकिन उसके बयान से साफ है कि वह जरूरत पड़ने पर शांति की पहल में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने को तैयार है।
अब सबकी निगाहें 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली इस ऐतिहासिक मुलाकात पर टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या ट्रंप और पुतिन कोई ऐसा रास्ता निकाल पाएंगे, जो युद्ध को खत्म करने की दिशा में निर्णायक साबित हो। भारत के शब्दों में कहें तो, "कैसे भी हो, बस जंग रुकनी चाहिए।"