जम्मू-कश्मीर के एक शख्स ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी त्रासदी को अपनी सफलता की सीढ़ी बना लिया। हम बात कर रहे हैं विवेक रैना की, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में काम शुरू किया और आज अपनी कंपनी का टर्नओवर 400 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंचा दिया है। उनकी यह सफलता की कहानी आज के युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
ब्रॉडबैंड मार्केट में एक्साइटेल (Excitel) आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। यह देश की तेजी से उभरती हुई ब्रॉडबैंड कंपनियों में से एक है। एक्साइटेल के प्लान आमतौर पर एयरटेल, जियो और बीएसएनएल जैसी कंपनियों के मुकाबले सस्ते होते हैं। विवेक रैना का जन्म श्रीनगर में हुआ था। साल 1990 में कश्मीर में अशांति के कारण उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से एक बड़ा मुकाम हासिल किया।
आलीशान घर छोड़कर रहना पड़ा किराए के मकान में
द वीकेंड लीडर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, विवेक का श्रीनगर में 14 कमरों का एक आलीशान घर था। लेकिन 9वीं क्लास में होने के दौरान ही उन्हें और उनके परिवार को अपना घर छोड़कर जम्मू में एक किराए के कमरे में रहना पड़ा। यह वह दौर था जब कश्मीरी पंडितों को मजबूरी में पलायन करना पड़ रहा था। इन तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए भी विवेक ने अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया और एमबीए की डिग्री हासिल की।
विवेक की पहली नौकरी हैथवे (Hathway) में लगी, जहां उनकी सैलरी सिर्फ 10,000 रुपये थी। यह कंपनी छोटे कार्यालयों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन बेचती थी। इसके बाद उन्होंने रिलायंस, ब्रॉडबैंड पेसनेट और डिजिकेबल जैसी बड़ी कंपनियों में अहम पदों पर काम किया।
ऐसे हुई एक्साइटेल की शुरुआत
नौकरी के दौरान ही विवेक कुछ अलग करना चाहते थे। उनके दिमाग में हमेशा कुछ नए आइडिया आते रहते थे। साल 2015 में उन्हें कुछ बुल्गारियाई उद्यमियों से मिलने का मौका मिला, और उसी साल उन्होंने एक्साइटेल नाम की इंटरनेट सर्विस कंपनी की स्थापना की। आज, कंपनी का हेडऑफिस दिल्ली में है और यह भारत के 30 से ज्यादा शहरों में अपनी इंटरनेट सेवा मुहैया कराती है। एक्साइटेल के पास करीब नौ लाख ग्राहक हैं और कंपनी का कारोबार 400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। विवेक रैना की कहानी यह साबित करती है कि अगर इंसान में दृढ़ संकल्प हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।