अभिनेता सयाजी शिंदे पर्दे पर भले ही विलन का किरदार निभाते हों, लेकिन असल ज़िंदगी में वह धरती के लिए एक सच्चे हीरो हैं। उन्होंने अपनी माँ की याद को एक अनूठा रूप दिया है।
सयाजी शिंदे ने बताया, “माँ के गुज़रने से एक दिन पहले, मैंने उन्हें 5000 देसी बीजों से तौला था। आज वो बीज पेड़ बन चुके हैं, वहां लगे फल और बैठे पक्षी मुझे हर दिन उनकी याद दिलाते हैं।”
माँ की याद में लिया प्रकृति के लिए संकल्प
अपनी माँ के गुज़रने से ठीक पहले देसी बीज लेने के उसी पल, सयाजी शिंदे ने तय कर लिया कि उन्हें प्रकृति के लिए कुछ बड़ा करना है। आज उन्हीं बीजों की याद में महाराष्ट्र में हज़ारों पेड़ खड़े हैं, जैसे उनकी माँ की मौजूदगी अब हर शाख़ पर, हर पत्ते में ज़िंदा हो।
शुरू किया ‘सह्याद्री देवराई’ अभियान
सयाजी शिंदे ने सिर्फ पौधे नहीं लगाए, बल्कि उन्होंने एक पूरी सोच शुरू की। अपनी संस्था ‘सह्याद्री देवराई’ के ज़रिए वे गांव-गांव जाकर देशी पेड़ों को बचाने, लगाने और उनकी देखभाल करने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने स्कूलों में “एक विद्यार्थी—एक पौधा” जैसी पहल शुरू की, ताकि बच्चे पेड़ों को सिर्फ प्रकृति नहीं, अपनी जिम्मेदारी की तरह अपनाएँ। आज वे महाराष्ट्र के कई इलाकों में 20,000 से भी ज़्यादा पेड़ लगवा चुके हैं और पेड़ कटने के हर प्रयास के खिलाफ मजबूती से आवाज़ उठाते हैं।
उनके लिए पर्यावरण कोई अभियान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक रिश्ता है, जो उनकी माँ की आखिरी याद से जुड़ा है। सयाजी शिंदे इस बात का सबूत हैं कि एक इंसान भी पूरी धरती का रंग बदल सकता है।
