एक इंजीनियर ग्रेजुएट... जो मजाक-मजाक में मेडिसिन की दुनिया में आई। हल्की-फुल्की बातचीत से शुरू हुआ सफर जिंदगी बदलने वाला फैसला बन गया। बीटेक के बाद एक स्टार्टअप में अच्छी सैलरी की जाॅब और लीडरशिप रोल को छोड़कर आकृति गोयल ने अपने डॉक्टर बनने के बचपन के सपने को उड़ान दी। उन्होंने NEET UG क्रैक कर MBBS की स्टडी की। आइए जानते हैं उनकी यह प्रेरणा देने वाली कहानी।
बीटेक से MBBS तक का सफर
आकृति ने अपनी पढ़ाई BITS पिलानी से MSc इकोनॉमिक्स और BTech इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल्स में डुअल डिग्री प्रोग्राम में 8.8 CGPA के साथ पूरी की थी। अपनी लिंक्डइन पोस्ट में आकृति ने बताया कि उन्हें बचपन से ही डॉक्टर बनने का जुनून था और उन्होंने 11वीं और 12वीं में बायोलॉजी से पढ़ाई भी की, लेकिन 10वीं में वह मेडिकल और इंजीनियरिंग के बीच कंफ्यूज थीं। परिवार और दोस्तों की बातचीत के बाद उन्होंने खुद को साबित करने के लिए इंजीनियरिंग चुनी।
इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने एक स्टार्टअप में ऑफलाइन इंटरव्यू देकर नौकरी जॉइन की और सीखते हुए एक और स्टार्टअप हीलोफाई (Healofy) को लीडरशिप रोल में जॉइन किया, जहाँ उन्होंने CEO के साथ काम किया।
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'शुरुआत से शुरू करने' का फैसला
देर रात तक काम और स्ट्रेस की वजह से जनवरी 2020 में आकृति बीमार पड़ गईं और मार्च 2020 में कोविड लॉकडाउन के 2 दिन बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। आकृति ने महसूस किया कि हीलोफाई में अच्छी सैलरी और लीडरशिप रोल होने के बावजूद उन्हें खुशी नहीं मिली।
17 जुलाई 2020 को उन्होंने करियर कोच देवाशीष से बात की, जहाँ जापानी कॉन्सेप्ट 'Ikigai' पर प्रैक्टिस करते हुए उनके दिमाग में MBBS का विचार आया। पहले उन्होंने इसे मजाक समझा, लेकिन बाद में उन्होंने हिम्मत जुटाई। आकृति कहती हैं, "मेरा यकीन है कि ‘शुरुआत से शुरू करने’ से कभी डरना नहीं चाहिए। हमें यह सोचना चाहिए कि अगर यह काम कर गया तो क्या होगा?"
आज, आकृति गोयल ने इंजीनियर से डॉक्टर बनकर यह साबित कर दिया कि सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती और कभी भी सही दिशा में एक नई शुरुआत करने से घबराना नहीं चाहिए।
