हर साल लाखों उम्मीदवार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही सफल हो पाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही प्रेरक कहानी बताने जा रहे हैं, जो आपको हार न मानने की सीख देगी। मिलिए इशिता किशोर से, जिन्होंने दो बार असफल होने के बाद भी अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल कर इतिहास रच दिया।
दो असफलताओं के बाद मिली सफलता
इशिता किशोर की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के एयरफोर्स बाल भारती स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 'अर्न्स्ट एंड यंग' में दो साल तक नौकरी की। हालांकि, वह एमबीए या पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बजाय सिविल सेवा में जाने का फैसला किया।
रोजाना 8 से 9 घंटे करती थीं पढ़ाई
2019 में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, इशिता पूरी तरह से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। वह रोजाना 8 से 9 घंटे पढ़ाई करती थीं, लेकिन अपने पहले दो प्रयासों में वह प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाईं। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार मेहनत करती रहीं, जिसका नतीजा यह हुआ कि तीसरे प्रयास में उन्होंने देश में पहला स्थान हासिल किया।
फुटबॉल प्लेयर थीं इशिता
इशिता पढ़ाई के साथ-साथ एक बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी भी रही हैं। उन्होंने 2012 में सुब्रतो कप फुटबॉल टूर्नामेंट में भी हिस्सा लिया था। इशिता मूल रूप से बिहार के पटना जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता एयरफोर्स में विंग कमांडर थे, जो 2004 में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे। इसके बाद उनकी मां ज्योति ने ही पूरे घर को संभाला। इशिता की मां दिल्ली के एयरफोर्स बाल भारती स्कूल में पढ़ाती थीं।